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दिल्ली में छात्रों को डी.टी.सी बसों से यात्रा करने के लिए आन्दोलन का सहारा लेना पड़ रहा है जबकि दिल्ली सरकार को अविलम्ब छात्रों की सुविधा के लिए बसों की व्यवस्था करनी चाहिए। दिल्ली में पूरे देश के नौजवान अध्ययन हेतु जाते हें। सरकार की पहली प्राथमिकता यह होनी चाहिए कि उन छात्रों को अध्ययन हेतु समस्त सुविधाएं उपलब्ध कराएं लेकिन दिल्ली परिवहन के अधिकारी श्री कसाना ने हिटलरी अंदाज में बसें चलाने के लिए मना कर दिया जबकि केंद्र सरकार व दिल्ली राज्य सरकार ने लगभग 70 हजार करोड़ रुपये से अधिक रुपया राष्ट्रमंडल खेलों के लिए खर्च किया। उसमें हजारों हजार करोड़ रुपये नेताओं और अधिकारियों की जेब में लूट खसोट कर के चला गया लेकिन छात्रों को सुविधा देने में भ्रष्टाचार या आर्थिक मुनाफा कम होना है इसलिए ऐसे जवाब अधिकारियों द्वारा दिए जा रहे हें। दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति की नैतिक जिम्मेदारी है कि वह अविलम्ब दिल्ली परिवहन के अधिकारियों से बातचीत कर परिवहन सुविधाएं उपलब्ध कराएं। दिल्ली में जाकर अध्ययन करने वाले छात्रों में काफी छात्र सामान्य माध्यम वर्गीय घरों के होते हें जो अपनी भूख और प्यास पर काबू कर अध्ययन कार्य करते हैं। इन्ही छात्रों की प्रतिभों से नए भारत का निर्माण होना है। भ्रष्टाचारियों व लूट–खसोट मचाने वाले लोगों से नहीं। लोकसंघर्ष परिवार को पूर्ण विश्वास है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति महोदय अविलम्ब इस समस्या का निदान कराएँगे।
सुमन
लो क सं घ र्ष !
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