loksangharsha
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चाम के गोदाम का पहरेदार स्वान है।
कुशल क्षेम कौन कहे मालिक भगवान है॥
चिंतातुर पंछी है व्याधों का गाम है।
कहाँ जायें कहाँ रहे सूझता न ठाम है॥
ऊपर से बार घूरता सचान है।
कुशल क्षेम कौन कहे मालिक भगवान है॥
नदियों की चाल देख, सकते में मीन है।
अतिशय भयातुर है, बहुत दीन है॥
गद गद मछेरा है, मुख पर मुस्कान है।
कुशल क्षेम कौन कहे मालिक भगवान है॥
आज भी अलोपीदीन खेल रहा खेल है।
सत्यनिष्ठ वंशीधर काट रहा जेल है॥
रामनाथ को गया हो गबन का गुमान है।
कुशल क्षेम कौन कहे मालिक भगवान है॥
-चक्रधर पति त्रिपाठी ‘विवासी’
डॉक्टर रूप चन्द्र शास्त्री ‘मयंक’ के काव्य संग्रह ‘सुख का सूरज’ तथा ‘नन्हे सुमन’ के विमोचन के अवसर पर श्री चक्रधर पति त्रिपाठी ‘विवासी’ द्वारा सस्वर पथ किया गया था स्वर अद्भुत था।
प्रस्तुतकर्ता Suman
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