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जमींदार – राजा-महाराजा यह सब थे देश के गद्दार

loksangharsha
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भारत में ब्रिटिश साम्राज्यवाद की स्थापना के बाद सी राजा–महाराजा–जमींदार यह सब उनके पिट्ठू थे और इनकी हर कोशिश यह रहती थी की ब्रिटिश साम्राज्यवाद का साम्राज्य बना रहे । जो राजा या महाराजा या जमींदार अंग्रेजो की गुलामी करने में चूक कर बैठते थे उनके हाथ से शासन व सत्ता चली जाती थी। इसके अतिरिक्त ब्रिटिश साम्राज्यवादियों ने भारत से गद्दारी करने वालों को सर, राय बहादुर , खान बहादुर सहित सैकड़ों पदवियां दिया था यह लोग भी अंग्रेजों को हर तरह से खुश रखने के लिये कुछ भी करने के लिये तैयार रहते थे। भगत सिंह की फांसी दिलाने में अभियोजन पक्ष के दो प्रमुख गवाह शोभा सिंह तथा मेरठ के पास के सादीलाल थे जिनको ब्रिटिश साम्राज्यवादियों ने सर की उपाधि दी थी और तरह–तरह के कार्य इन लोगों के कहने से किये जिससे उस समय यह लोग लाखों रुपये कमाएं। सुप्रसिद्ध पत्रकार खुशवंत सिंह सर शोभा सिंह के पुत्र हैं और सर सादीलाल के वंशजों के पास शराब के कारखानों सहित अथाह सम्पदा है। आजादी की लड़ाई में जमींदार राजे–महाराजे महात्मा गाँधी की जय करने पर भी अपने कारिंदों से पिटवा देते थे और पुलिस बुलाकर जेल भिजवा देते थे। उस समय की सजाओं में प्रमुख था हंटरों से चमड़ी उधेड़ देना, घाव के ऊपर नमक छिड़क देना, मुंह पर गुह बांध देना।
आजादी के बाद “हम तबो लूटा खावा है हम अबो लूटित खाइत है“। तब हिटलर कैप लगावा है अब गांधी कैप लगाईत है ” के नारे के साथ देश की शासन सत्ता पर काबिज हो गए। आजादी की लड़ाई लड़ने वाला मजदूर–किसान ठगा का ठगा रह गया उसके हिस्से में सिर्फ भूख और प्यास आई और अमेरिकन साम्राज्यवादियों का प्रभाव बढ़ने पर मजदूरों और किसानो के हिस्से में आत्महत्याएं ही आ रही हैं। हिंदुत्व वादी शक्तियां जो पहले ब्रिटिश साम्राज्यवाद के साथ थीं वह अब अमेरिकन साम्राज्यवाद के साथ हैं। यह लोग धर्म, जाति, भाषा, प्रांतीयता के नाम पर उन्माद फैला कर देश की एकता और अखंडता को भी कमजोर करते हैं जिससे साम्राज्यवादी ताकतों को बल मिलता है।

सुमन
लो क सं घ र्ष !

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