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केन्द्रीय जांच ब्यूरो ने आपके अर्थ तंत्र के मुखिया बालाकृष्णन की सभी शैक्षिक प्रमाण पत्रों की जांच की। ब्यूरो का निष्कर्ष है कि वह सभी प्रमाण पत्र फर्जी हैं क्या आप उन शैक्षिक प्रमाणपत्रों को वास्तविक मानते हैं यदि हाँ तो सीधे-सीधे मीडिया को आप कह दीजिये की बालकृष्ण के प्रमाणपत्र असली हैं और केन्द्रीय जांच ब्यूरो के अधिकारीगण झूठ बोल रहे हैं। इससे आपके आन्दोलन को भी बल मिलेगा पार पत्र अधिनियम की धारा १२, धारा 420 (ठगी), धारा 120 बी के तहत प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की गयी है और आप संपूर्णानन्द संस्कृत विश्व विद्यालय की बालकृष्ण की डिग्रियां फर्जी नहीं हैं। यदि सी.बी.आई के अधिकारीयों ने उक्त फर्जी डिग्रियां लगे हैं तो आप भी जनता को उनकी असली डिग्रियों की छाया प्रति जारी कर दीजिये जिससे सी.बी.आई की भी नकाब हट जाएगी और भारत सरकार का भी। बालकृष्ण की नागरिकता भी विवाद में है इसके ऊपर भी आप का स्पष्टीकरण किसी दस्तावेज के साथ नहीं आया है।
आप का रुदन या प्रलाप का कोई अर्थ नहीं है यदि आप स्वयं भ्रष्टाचार की गंगोत्री में सुबह और शाम गंगा स्नान कर रहे हैं। इससे गंगा की पवित्रता को भी आप नष्ट कर रहे हैं। राजनीति में ब्लैकमेल करने की परंपरा पुरानी है और जो नियमो-उपनियमो का उल्लंघन करते हैं वह लोग चाहे भारत सरकार हो या प्रदेश सरकार हो उनके अधिकारीयों के तलवे चाटते नजर आते हैं। राजनीति में साफ़ सुथरे लोगों की कमी होने का कारण भ्रष्ट अधिकारियों का नेतागण विरोध नहीं कर पाते हैं। अधिकांश नेता पेट्रोल पम्प या गैस एजेंसी या विभिन्न कोटा परमिट के धारक होते हैं और उसमें वह जब जमकर आर्थिक अपराध करते हैं तो उनकी हैसियत नहीं होती हैं की वह किसी भ्रष्ट अधिकारी या कर्मचारी के भ्रष्टाचार का विरोध कर सकें। आप जब आन्दोलन के मैदान में उतर रहे थे तो सबसे पहले अपने गिरेबान में झाँक लेना चाहिए था कि कहीं हम आर्थिक अपराध तो नहीं कर रहे हैं। जैसे-जैसे आप बालकृष्ण की पैरवी में थोथे चने की भांति गीत संगीत जारी करते रहेंगे वैसे-वैसे आपकी छवि आन्दोलनकारी की बजाये रुदन योग के जैसी होगी।
सुमन
लो क सं घ र्ष !
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