अन्ना ब्रांड पेनकिलर
भ्रष्टाचार पूंजीवादी व्यवस्था का गुण है. पूंजीवाद को बचाए रखने के लिए उद्योगपतियों के समूह द्वारा अन्ना ब्रांड पेनकिलर का इस्तेमाल किया जा रहा है जिससे पूंजीवादी शोषण व लूट का चेहरा मानवीय वा लोकतांत्रिक दिखे। अन्ना साहब का लोकपाल बिल असंवैधानिक भी है और तानाशाही प्रवृत्ति को बढ़ावा देने वाला है भारतीय संविधान में शक्ति प्रथकरण का सिद्धांत है अन्ना साहब की मुख्य माँग है की लोकपाल में सभी शक्तियाँ समाहित हों। सर्व शक्तिमान लोकपाल अगर तानाशाही या बाद दिमाग़ हो गया तो उसका कोई इलाज संभव नही है जैसे माननीय उच्च न्यायालय क न्यायमूर्तियों को हटाने क लिए महाभियोग की व्यवस्था है और किसी भ्रष्ट न्यायमूर्ति को आज तक महाभियोग क द्वारा हटाया जाना संभव नही हो सका है कभी-कभी न्यायमूर्तियों के आचरण असंवैधानिक व अविधिक होते हैं इस सदी गली व्यवस्था में टॉप टू बॉटम तक लोग भ्रष्टाचार की गंगोत्री में स्नान कर रहे हैं. जनता कहीं विद्रोह ना कर दे. इस लिए अन्ना ब्रांड का पेनकिलर इस्तेमाल किया जा रहा है. भारत क मेहनतकश अवाम ने भूखे रहकर देश को आर्थिक रूप से आर्थिक रूप से शक्ति संपन्न किया है। अमेरिका जैसा शक्तिशाली देश आर्थिक रूप से दिवालिया हो चुका है एक रिपोर्ट क अनुसार प्रतिमाह 8 बैंक दिवालिया हो रहे हैं वहीं इस देश में किसान मजदूर, मेहनतकश जनता की बदौलत इतनी ज़्यादा उन्नति हुई की राजनेता नौकरशाह नेशनल वा मल्टी नेशनल कंपनिया एक बार में लाखों लाख करोड़ का भ्रष्टाचार कर सके यदि देश में दौलत ना होती तो यह भ्रष्टाचारी लाखों लाख करोड़ का घोटाला कैसे करते अन्ना साहब आपके पीछे हिंदुत्व वादी येदुरप्पा वादी बंगारूवादीभ्रष्टाचार हैं उनको भ्रष्टाचार करने का अभी अवसर नही मिल रहा है वह आपके माध्यम से दिल्ली की सत्ता क उपर काबिज होकर भ्रष्टाचार को नया आयाम देना चाहते हैं. फिलहाल थोडा सा संतोष कीजिए इन बंगारूओं को भी भ्रष्टाचार करने का अवसर मिलेगा। आज ज़रूरत इस बात की है इस भ्रष्टाचारी व्यवस्था को समाप्त कर एक नयी व्यवस्था को जन्म देने की है जिसमें मेहनतकश अवाम को आत्महत्या की ज़रूरत ना पड़े. और जब मेहनतकश जनता क सम्मान होगा तब भ्रष्टाचार अपने आप भाग जाएगा।
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