Menu
blogid : 1016 postid : 128

टोपियाँ बदलने का खेल है अन्ना

loksangharsha
loksangharsha
  • 132 Posts
  • 112 Comments


ब्रिटिश साम्राज्यवाद के आधीन भारत में जो लोग अंग्रेजों के साथ थे आजादी मिलने के पूर्व ही उन्होंने अपनी टोपी बदल दी थी और चालाक लोग गाँधी की टोपी में आ गए थे। सर शोभा सिंह जैसे लोग भगत सिंह को फांसी कराने का इनाम भी लिया और आजाद भारत में कुछ टुकड़े फेंक कर सबसे बड़े परोपकारी के रूप में आये।
भ्रष्टाचार आजादी के बाद एक भयानक महामारी के रूप में उभरा किन्तु लोकतान्त्रिक व्यवस्था में ए राजा से लेकर कनिमोझी तक जेल में हैं। भ्रष्टाचार पूंजीवादी व्यवस्था का गुण है और इसी व्यवस्था में अमेरिका, इंग्लैंड समर्थित गाँधी टोपी के सहारे अन्ना पूँजीवाद को बचाने का सबसे बड़ा आन्दोलन चला रहे हैं। गाँधी टोपी लगा लेने से कोई गाँधीवादी नहीं हो जाता और सर्वसाधन समपन्न लोकपाल के आ जाने से भ्रष्टाचार दूर नहीं होता है। गाँधी की हत्या करने वाले और उसके बाद गाँधी वध को जायज ठहराने वाले विचारधारा का साथ अन्ना का आन्दोलन चल रहा है इसका सीधा अर्थ है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जो जन आक्रोश है उसको गलत दिशा देना है। कैंडल मार्च से लेकर तरह–तरह के मार्च हो रहे हैं। इस आन्दोलन में ज्यादातर हिन्दुवत्व वाली विचारधारा के लोग हैं जिनको इस देश ने कभी स्वीकार नहीं किया है और भ्रष्टाचार के नाम पर बहुत बड़े–बड़े भ्रष्टाचारी भी गाँधी टोपी लगा कर आन्दोलन के मैदान में हैं।

सुमन
लो क सं घ र्ष !

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh