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उत्तर प्रदेश पुलिस में राजनीति

loksangharsha
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उत्तर प्रदेश पुलिस के महानिदेशक श्री करमवीर सिंह की सेवानिवृत्ति के बाद डी.जी आर.के तिवारी को अतिरिक्त कार्यभार दिया गया है। डी.जी.पी पद पर सत्तारूढ़ दल स्पेशल डी.जी बृजलाल को नियुक्त करना चाहता है किन्तु वह डी.जी पद पर प्रोन्नत नहीं हैं इसलिए सियासी तिकड़म के तहत डी.जी पी.एस.सी को अतिरिक्त कार्यभार दे दिया गया जो आगामी 30 सितम्बर को सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं रणनीति के तहत सत्तारूढ़ दल इसी एक माह में बृजलाल को डी.जी पद पर प्रोन्नत करा देगा और 30 सितम्बर के बाद डी.जी.पी के पद पर बृजलाल को नियुक्ति दे दी जाएगी। कल शाम को डी.जी एंटी करप्शन अतुल को पुलिस महानिदेशक पद पर नियुक्त तय माना जा रहा था उनको बधाइयाँ भी मिलनी शुरू हो गयी थी।
इस तरह से डी.जी बृजलाल सबसे जूनीयर अधिकारी होने के बाद भी उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक होंगे। इसके पूर्व भी सत्तारूढ़ दल ने रणनीति के तहत पुलिस महानिदेशक पद पर वी.के.वी नायर को प्रदेश का महानिदेशक नियुक्त किया था। इसके खेल पीछे का खेल यह होता है सबसे जूनीयर अधिकारी को मुख्य अधिकारी नियुक्त कर देने से वह अधिकारी राजनीतज्ञों के हाथ की कठपुतली बना रहता है और राजनीतज्ञ अपने इशारे पर जिस तरह से चाहें उसको संचालित करें और यहीं से शुरू होता है विभाग का राजनीतिकरण ऐसे प्रोन्नत पाए हुए अधिकारीयों से किसी भी तरह के न्याय की आशा नही की जा सकती है। ऐसे अधिकारी सत्तारूढ़ दल के रैली जुटाने से लेकर चुनावों में सत्तारूढ़ दल के उम्मीदवारों के लिये चुनाव प्रचार तक करते रहते हैं। उनकी निष्ठा जन गण मन में नहीं होती है। उनकी मात्र निष्ठा अपने भाग्य विधाता में ही होती है।

सुमन
लो क सं घ र्ष !

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