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loksangharsha
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“भाजपा एक आत्ममुग्ध पार्टी है और
इसकी प्रवृतियां सदैव से आत्मघाती भी रही हैं. यह इतने स्वाबलंबी हैं कि
अपने शीर्ष नेताओं की ह्त्या करने या उन्हें हाशिये पर लगाने का काम स्वयं
ही करलेते हैं. “स्वयंसेवक” शब्द की ही यह विडम्बना है. जनसंघ के समय से ही
यही परम्परा है. दीनदयाल उपाध्याय की ह्त्या में जौनपुर के जनसंघ के सांसद
अभियुक्त थे. प्रखर हिंदूवादी नेता बलराज मधोक या मौली चन्द्र शर्मा को
कैसे हासीये पर लगाया गया सभी जानते हैं. गोविन्दाचार्य कहाँ गए ? ब्रह्म
दत्त द्विवेदी की ह्त्या किसने करवाई थी और कौन मुलजिम था ? सीमा रिजवी और
कुसुम राय की प्रतिद्वाद्विता के अटल और कल्याण सिंह मुहरे थे.”देश में अगर
रहना है तो वन्देमातरम कहना है” का नारा देकर सत्ता में पहुँची भाजपा ने
उत्तर प्रदेश में अपने शिक्षा मंत्री रवींद्र शुक्ला को इसलिए निकाल दिया
था क्योंकि उसने स्कूलों में अनिवार्यतः वन्देमातरम गाने की राजाज्ञा जारी
कर दी थी. देश का पहला गो- मांस निर्यात का लाईसेंसे अटल सरकार ने जारी
किया. अमरनाथ यात्रा पर टेक्स अटल सरकार में लगा. जब देश -प्रदेश में
दूसरों की सरकार थी तो चिल्लाते थे “राम लाला हम आयेंगे मंदिर वहीं
बनाएंगे” पर सत्ता में आते ही अयोध्या के राम लाला टाट में थे और यह ठाठ
में थे. अभी लोग घूस खा कर कंगारू की तरह फुदकते इनके राष्ट्रीय अध्यक्ष
बंगारू को भूले भी नहीं थे कि भ्रष्टाचार के शलाका पुरुष बाबू राम कुशवाहा
का आयात करलिया. तुर्रा यह कि रावण के यहाँ का विभीषण ले आये. लंका में
विश्वासघात की विभीषिका करने वाले व्यक्ति को विभीषण कहा गया तो क्या राम
राज्य के सपने का लौलीपोप चुसाती भाजपा के मतदाता / कार्यकर्ता से
विश्वासघात कर पार्टी को चुनाव के पहले चरित्र की विभीषिका में धकेलने वाले
को विभीषण नहीं विनय कटियार / सूर्य प्रताप शाही / राजनाथ सिंह या नितिन
गडकरी कहा जाए ? वैसे ही दूध में फिटकिरी की तरह ही हैं भाजपा में गडकरी.” —

— राजीव चतुर्वेदी

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